निर्जला एकादशी एक परम पवित्र व्रत है.....यह एकादशी का व्रत वर्ष की 24 एकादशीयों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. इस विशेष व्रत से जुडी सम्पूर्ण जानकारी इस कार्यक्रम में प्राप्त करे ।
जानिए निर्जला एकादशी व्रत का महत्व, कथा व व्रत विधि, Know The Complete Process Of Nirjala Ekadashi Vrat, Fast, Rituals and Katha, Story.......
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी के नाम से जानी जाती है. इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. ऋषि वेदव्यास जी के अनुसार इस एकादशी को भीमसेन ने धारण किया था. इसी वजह से इस एकादशी का नाम भीमसेनी एकादशी पडा. शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति को दीर्घायु तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस एकादशी व्रत को निर्जल रखा जाता है. अर्थात इस व्रत में जल का सेवन नहीं करना चाहिए.
इस एकादशी को करने से वर्ष की 24 एकादशियों के व्रत के समान फल मिलता है. यह व्रत करने के पश्चात द्वादशी तिथि में ब्रह्म बेला में उठकर स्नान, दान तथा ब्राह्माण को भोजन कराना चाहिए. इस दिन "ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करके गौदान, वस्त्रदान, छत्र, फल आदि दान करना चाहिए.
We strongly encourage you to book an appointment online to get personalised consultation and remedies for all your problems.