मकर संक्रांति,Makar Sankranti, Mahakumbh, Sun's Transit to Capricorn



13 Jan, 2013

हिन्दू धर्म शाश्त्रों के हिसाब से पञ्च देवों को परमात्मा स्वरुप माना गया है . शिव , विष्णु , दुर्गा , गणेश और सूर्य ! भगवान् भासवान समस्त संसार के तिमिर का हरण करने वाले , धन्वन्तरि स्वरुप में रोगों को हरने वाले तथा कलि काल में महाप्रलय के समय सम्पूर्ण ब्रम्हांड को अपनी ज्वाला से भस्म करने वाले हैं ! इनकी पूजा से समस्त पापों का नाश हो जाता है . सूर्य पुराण के हिसाब से आदि काल में यही नारायण हैं ! जो बाद में द्वादश आदित्य रूप में देवताओं में जन्म लेते हैं , प्रलय काल में यही प्रचंड ज्वाला युक्त शिव हैं ! जो ब्रम्हाण्ड को भस्म कर देते हैं ताकि नविन सृजन हो सके ! संक्रांति पर्व इनकी पूजा के अति उत्तम पर्व बताया गया है ! संक्रांति पर्व में सुबह उठकर निम्न स्तोत्र से भगवान् सूर्य की पूजा करें ! आपका वर्ष निश्चित ही स्वास्थ्य से भरा रहेगा ! कुम्भ बारह-बारह वर्ष के अन्तर से चार मुख्य तीर्थों में लगने वाला स्नान-दान का ग्रहयोग है। इसके चार स्थल प्रयाग, हरिद्वार, नासिक-पंचवटी और अवन्तिका (उज्जैन) हैं। कुम्भ योग ग्रहों की निम्न स्थिति के अनुसार बनता है-

जब सूर्य एवं चंद्र मकर राशि में होते हैं और अमावस्या होती है तथा मेष अथवा वृषभ के बृहस्पति होते हैं तो प्रयाग में कुम्भ महापर्व का योग होता है। इस अवसर पर त्रिवेणी में स्नान करना सहस्रों अश्वमेध यज्ञों, सैकड़ों वाजपेय यज्ञों तथा एक लाख बार पृथ्वी की प्रदक्षिणा करने से भी अधिक पुण्य प्रदान करता है। कुम्भ के इस अवसर पर तीर्थ यात्रियों को मुख्य दो लाभ होते हैं- गंगा स्नान तथा सन्त समागम।
जिस समय गुरु कुम्भ राशि पर और सूर्य मेष राशि पर हो, तब हरिद्वार में कुम्भ पर्व होता है।
जब गुरु सिंह राशि पर स्थित हो तथा सूर्य एवं चंद्र कर्क राशि पर हों, तब नासिक में कुम्भ होता है।
जिस समय सूर्य तुला राशि पर स्थित हो और गुरु वृश्चिक राशि पर हो, तब उज्जैन में कुम्भ पर्व मनाया जाता है।

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