क्या है इंदिरा एकादशी व्रत....क्या है इसके लाभ.....आज ही जानिये.....
व्रतों के प्रभाव से कायिक, वाचिक, मानसिक और संसर्गजनित पाप, उपपाप और महापापादि भी दूर हो जाते हैं। व्रतों के प्रभाव से मनुष्यों की आत्मा शुद्ध होती है। संकल्प शक्ति में वृद्धि होती है, बुद्धि, विचार, चतुराई या ज्ञान तंतुओं का समग्र विकास होता है। व्रतों के प्रभाव से हमारे पूर्वजों के जीवन में आए व्यवधान भी दूर हो जाते हैं और उनको उत्तमोत्तम लोकों की प्राप्ति एवं ऐश्वर्य भोग प्राप्त हो जाते हैं। उनके निकटस्थ बंधु-बांधवों के शुभ संकल्प ही असद्गतियों को प्राप्त पूर्वजों के अद्वितीय कल्याण का साधन बन जाते हैं। व्रत करने वाला दशमी तिथि को एक समय भोजन ग्रहण करे। एकादशी तिथि को पूर्ण व्रत का पालन करता हुआ, द्वादशी तिथि में देवपूजनोपरांत ब्राह्मण भोजन कराके दक्षिणादि से संतुष्ट कर नियमानुसार भोजन करे, तो निश्चय ही कल्याण होता है। एक समय नंदनंदन भगवान् श्री कृष्ण के चरणों में साष्टांग प्रणामकर धर्मराज युधिष्ठिर ने पूछा - मधुसूदन! कृपा करके मुझे यह बताइये कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में कौन सी एकादशी होती है? भगवान् श्री कृष्ण बोले- राजन् ! आश्विन कृष्णपक्ष में 'इंदिरा' नामकी एकादशी होती है। उसके व्रत के प्रभाव से बड़े-बड़े पापों का नाश हो जाता है। नीच योनि में पड़े हुए पितरों को भी यह एकादशी सद्गति देने वाली है।
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