कैसे मनाये गुरु पूर्णिमा...... क्या करें गुरु पूर्णिमा के दिन...जानिए व्रत व अन्य पूजा विधि विधान.....
साथ ही यदि आपकी कुंडली में गुरु ग्रह बृहस्पति पीड़ित है तो उसके भी करे प्रभावशाली उपाय.....
गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णु र्गुरूदेवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
भारत भर में गुरु पूर्णिमा पर्व बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है। आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। वैसे तो देश भर में एक से बड़े एक अनेक विद्वान हुए हैं, परंतु उनमें महर्षि वेद व्यास, जो चारों वेदों के प्रथम व्याख्याता थे, उनका पूजन आज के दिन किया जाता है।
प्राचीन काल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में निःशुल्क शिक्षा ग्रहण करता था, तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु का पूजन करके उन्हें अपनी शक्ति, अपने सामर्थ्यानुसार दक्षिणा देकर कृतकृत्य होता था।
हमें वेदों का ज्ञान देने वाले व्यासजी ही हैं, अतः वे हमारे आदिगुरु हुए। इसीलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। उनकी स्मृति हमारे मन मंदिर में हमेशा ताजा बनाए रखने के लिए हमें इस दिन अपने गुरुओं को व्यासजी का अंश मानकर उनकी पाद-पूजा करनी चाहिए तथा अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए गुरु का आशीर्वाद जरूर ग्रहण करना चाहिए। साथ ही केवल अपने गुरु-शिक्षक का ही नहीं, अपितु माता-पिता, बड़े भाई-बहन आदि की भी पूजा का विधान है।
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